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कदम-दर-कदम करें तैयारी:

भारतीय प्रशासनिक सेवा यानी आईएएस के लिए होने वाली परीक्षा की तैयारी में हर वर्ष हजारों युवा जुटते हैं, लेकिन उनमें से कुछ सौ ही यह लक्ष्य प्राप्त कर पाते हैं। हालांकि आईएएस की तैयारी बहुत कठिन है, लेकिन  इसकी विधिवत तैयारी के बाद इसमें सफलता की उम्मीद बढ़ जाती है। आईएएस की तैयारी और परीक्षा के बुनियादी पहलुओं पर प्रियंका कुमारी के विचार देश में सिविल सर्विस परीक्षा के जरिए सरकारी क्षेत्र में उच्च पद हासिल करने का ख्वाब लाखों युवाओं के दिल में बसता है। यह पद प्रतिष्ठा और पैसे की चाहत को पूरा करता है। गरीब से लेकर अमीर तक सभी के मन में इस परीक्षा को लेकर खासा क्रेज है। इस परीक्षा से कोई आईएएस बन कर डीएम और सचिव बनना चाहता है तो कोई आईपीएस बन कर एसपी, आईजी और डीजी। विदेशों में राजदूत या आयकर विभाग में आयुक्त बनने का रास्ता आमतौर पर सिविल सर्विस परीक्षा के जरिए ही होकर जाता है। इस बड़े पद को हासिल करने के लिए हर साल लाखों युवा कड़ी मेहनत से गुजरते हैं। किसी को इस परीक्षा के पीटी में सफलता मिलती है तो किसी को मुख्य परीक्षा में, लेकिन तीसरे चरण यानी साक्षात्कार तक आते-आते बहुत सारे छात्रों को मायूसी ही हाथ लगती है।
करीब चार लाख छात्रों में से 15-20 हजार छात्र ही पहला चरण पार करने में सफल होते हैं। इसके बाद मुख्य परीक्षा की बारी आती है। इसमें ज्यादातर छात्र दौड़ से बाहर हो जाते हैं। आखिरी चरण साक्षात्कार में पदों की संख्या से तीन गुना ज्यादा छात्र बुलाए जाते हैं। अगर हजार पदों के लिए आवेदन मंगाए गए हैं तो मेन्स के बाद करीब तीन हजार छात्र साक्षात्कार में बुलाए जाते हैं। फाइनल में गिने-चुने लोगों को ही कामयाबी हासिल होती है। इंडियन फॉरेन सर्विस, आईएएस, आईपीएस में बहुत कम छात्रों को ही आने का मौका मिलता है। अन्य छात्र आईआरएस यानी इंडियन रेवेन्यू सर्विस या एलायड सर्विस में जाते हैं।
 
परीक्षा की रूपरेखा:
संघ लोक सेवा आयोग की ओर से अखिल भारतीय स्तर पर हर साल आयोजित सिविल सर्विस परीक्षा के पैटर्न में 2011 से बदलाव लाया गया है। पहले पीटी परीक्षा है, जिसका मुख्य उद्देश्य है कम गंभीर छात्रों की छंटनी करना। इसमें दो साल पहले तक सामान्य ज्ञान, इतिहास, भूगोल और राजनीति शास्त्र आदि से जुड़े सवाल मुख्य तौर पर होते थे। इतिहास, भूगोल और समसामयिक तथ्यों व घटनाओं को याद करने वाला छात्र पहले चरण को पार कर लेता था। इसमें रटने का काम मुख्य तौर पर ज्यादा होता था, लेकिन अब बदले हुए स्वरूप, जिसे सीसैट यानी सिविल सर्विस एप्टीट्यूड टेस्ट का नाम दिया गया है, में रटने की पद्धति पर जोर नहीं है। यहां विश्लेषण और चीजों को समझने पर जोर है। इस परीक्षा में दो पेपर हैं, पहला सामान्य अध्ययन का और दूसरा सीसैट का। एप्टीट्यूड टेस्ट में रीजनिंग, अंग्रेजी, कम्युनिकेशन, गणित और एप्टीट्यूड टेस्ट पर जोर होता है। इसमें कोचिंग की तैयारी काम नहीं आती। यहां ऑन स्पॉट ही छात्रों को अपनी समझ के आधार पर बहुत सारे सवालों को हल करना होता है।
जाकिर हुसैन कॉलेज में राजनीति शास्त्र विभाग में प्रोफेसर सोनू त्रिवेदी कहती हैं, ‘परीक्षा में सवालों के पैटर्न में यह सोच कर बदलाव लाया गया था कि कोचिंग के जाल से छात्रों को मुक्ति मिलेगी, लेकिन एक वर्ष में ही कोचिंग संस्थान फिर हावी हो गए हैं। अब सीसैट की तैयारी भी कोचिंग संस्थान कराने लगे हैं। यह छात्रों के लिए कितना मददगार होगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।’ आईएएस की तैयारी से जुड़े विशेषज्ञ ओमप्रकाश कहते हैं, ‘मौजूदा पैटर्न में कलक्टरी की तैयारी कीजिए तो इंस्पेक्टरी की भी हो जाएगी यानी परीक्षा का पैटर्न ऐसा हो गया है कि इससे बैंकिंग सेवा और कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा में भी बहुत मदद मिलती है। इसके लिए अलग से तैयारी की जरूरत नहीं रह जाती।’ सिविल सर्विस में उम्मीदवार की असली परीक्षा मुख्य परीक्षा यानी मेन्स से होती है। मुख्य परीक्षा छात्रों की ओर से चुने गए दो मुख्य विषयों पर आधारित होती है। इसका स्वरूप निबंधात्मक होता है। इसमें अनिवार्य और ऐच्छिक सहित कई प्रश्नपत्र होते हैं। अनिवार्य प्रश्नपत्रों में संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किसी भारतीय भाषा या हिन्दी और अंग्रेजी के प्रश्नपत्र शामिल होते हैं। गौरतलब यह है कि इन दोनों पेपरों में न्यूनतम अंक हासिल करने वाले उम्मीदवारों के ही शेष प्रश्नपत्रों के उत्तरों की जांच की जाती है। अनिवार्य प्रश्नपत्रों में निबंध और सामान्य अध्ययन के दो प्रश्नपत्रशामिल हैं। इसके अलावा, उम्मीदवार या परीक्षार्थी की ओर से चुने गए दो ऐच्छिक विषयों के दो प्रश्नपत्र भी होते हैं। इस परीक्षा में सफलता हासिल करने के लिए मुख्य परीक्षा में प्राप्त अंकों की भूमिका अहम होती है। ये अंक आगे चल कर मेरिट लिस्ट में काम आते हैं। मुख्य परीक्षा में पहले दस साल के सवालों का ट्रेंड देख कर छात्र बखूबी तैयारी कर लेते थे, लेकिन अब विश्लेषण आधारित सवाल होते हैं। गंभीर या विषय पर गहन पकड़ रखने वाले छात्र ही मेन्स में अच्छे अंक हासिल कर सकते हैं। मेन्स परीक्षा में यह अक्सर कहा जाता है कि कुछ विषय स्कोरिंग हैं, कुछ नहीं। इसके चयन के बाद ही छात्र अपनी रणनीति बनाते हैं। ओमप्रकाश कहते हैं, ‘समाज विज्ञान में आमतौर पर मनोविज्ञान, भूगोल और लोक प्रशासन जैसे विषय को स्कोरिंग माना जाता है। इस कारण हर साल मेडिकल और इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि वाले छात्र भी इन पेपरों को चुनते हैं। दूसरी समस्या माध्यम को लेकर आती है। यह कहा जाता है कि अंग्रेजी माध्यम के छात्र इस परीक्षा में सबसे ज्यादा चयनित होते हैं। यह सच है कि इस माध्यम के छात्रों की संख्या रिजल्ट में सर्वाधिक होती है, लेकिन भारतीय भाषा के छात्र भी अगर अंग्रेजी से इतर दूसरे माध्यम में लिखें तो कोई दिक्कत नहीं है। अध्ययन सामग्री की कमी के कारण ही कई बार छात्र अंग्रेजी माध्यम को चुनते हैं। दूसरे माध्यम में अध्ययन सामग्री ज्यादा नहीं होती।’ हालांकि कई विशेषज्ञों की मानें तो जिस विषय में रुचि और पकड़ है, उसे मुख्य पेपर के रूप में चुनना चाहिए। यहां दूसरों की देखा-देखी कई बार गलती होती है, तैयारी में भी बाधा आती है। मुख्य परीक्षा में ऐच्छिक विषयों में साइंस, आर्ट्स और कॉमर्स, तीनों के विषय विकल्प उपलब्ध हैं। मुख्य पेपर के बाद साक्षात्कार का चरण आता है।
  
साक्षात्कार:
साक्षात्कार 300 अंकों का होता है। इसके लिए एक कमेटी बैठती है, जिसमें विषय व विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ होते हैं। कमेटी का एक अध्यक्ष होता है। साक्षात्कार में शैक्षिक पृष्ठभूमि, समसामयिक मुद्दों पर आधारित प्रश्न पूछे जाते हैं। इसके माध्यम से उम्मीदवार की समझ-बूझ की परख की जाती है। व्यक्तित्व के सबल और दुर्बल पक्षों को देखा जाता है। तार्किक रूप से मजबूती और जागरूकता का पता लगाया जाता है। बेहतर साक्षात्कार ही सिविल सर्विस परीक्षा की मेरिट में छात्रों को अच्छे अवसर दिलाने में मददगार होता है।

Raj Kamal Tripathi

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